कोरोना वायरस से पूरी संसार में कोहराम मचा हुआ है. इससे बचाव के लिए तीन बातों का ध्यान रखने के लिए बोला जा रहा है. इनमें बार-बार हाथ धोना, नाक-मुंह को ढककर रखना व सोशल डिस्टेंसिंग यानी लोगों के बीच एक-दो मीटर की दूरी होनी चाहिए.
ये बातें आपको न केवल सिर्फ कोरोना वायरस से बचाती हैं बल्कि सैकड़ों दूसरी बीमारियां से भी सुरक्षित रखती हैं. ऐसा कर हर साल लाखों-करोड़ों लोगों को बचाया जा सकता है.
इसलिए भी बार-बार हाथ धोना चाहिए
बार-बार हाथ धोने से वायरस, बैक्टीरिया, प्रोटोजोआ व अमीबा आदि परजीवी से बचाव होता है. इनसे आंतों की समस्या, हैजा, उल्टी, मियादी बुखार, पीलिया, फ्लू, हेपेटाइटिस आदि बीमारियों का खतरा रहता है. जब आप कीटाणु वाले हाथ से दूसरों से मिलाते हैं तो उसे भी खांसी-जुकाम होने का खतरा बढ़ा देते हैं. हाथ में हमेशा स्टेफिलोकोकाई व क्लोस्ट्रिडिया किटाणु उपस्थित रहते हैं. इससे खूनी दस्त, किडनी व यूरिन ट्रैक का इन्फेक्शन होता है. कई अन्य बीमारियां हो सकती हैं.
क्या कहते हैं आंकड़े
40 लाख बच्चे दुनिया में हर साल पांच साल से कम आयु के डायरिया से दम तोड़ते हैं. नियमित हाथों को धोकर आंकड़े को घटाया जा सकता है.
13 लाख लोगों की हर साल मृत्यु केवल हेपेटाइटिस से हो रही है. दुनिया की 3-4 प्रतिशत आबादी हेपेटाइटिस से ग्रसित है.
65 प्रतिशत से अधिक पेट संबंधी बीमारियां गंदे हाथों से होती हैं. इसलिए बार-बार हाथ धोने के लिए बोला जाता है.
15 अक्टूबर को हैंड वाशिंग डे मनाते हैं ताकि लोगों में इसके प्रति जागरूकता आए.
क्या करें
हाथ धोने का मतलब यह नहीं कि सिर्फ पानी से धो लें. हाथ धोने के लिए साबुन का प्रयोग करें व हाथ को अच्छी तरह रगड़ कर धोएं ताकि धूल-मिट्टी निकल जाएं. अगर नियमित केवल साबुन पानी से 20 सेकंड तक हाथों को धोते हैं तो 99 प्रतिशत तक बचाव होता है. जब भी किसी घाव या चोट को छू रहे हैं, तो हाथ जरूर धोएं. खांसने-छींकने, होटल, रेस्टोरेंट, लाइब्रेरी, कम्प्यूटर आदि में कुछ प्रयोग करने से पहले व बाद में हाथ जरूर धोएं.
नाक-मुंह को
ढकने के फायदे
वायरस-बैक्टीरिया नाक, मुंह, आंख के रास्ते शरीर में पहुंच जाते हैं. इससे सीजनल फ्लू के साथ ही जीका, इबोला, स्वाइन फ्लू, निमोनिया, क्षय रोग यानी टीबी व वयस्कों में आइएलडी यानी इंटरस्टीशियल लंग डिजीज का खतरा रहता. सांस नलियां सिकुड़ जाती हैं. बच्चों में कालीखांसी होती है. मास्क लगाने से प्रदूषण से भी बचाव होता है.
छींकों में 3 हजार कण
10 लाख लोगों की मृत्यु दुनिया में हर साल केवल सीजनल फ्लू से.
2019 में स्वाइन फ्लू के 28,798 केस हिंदुस्तान में हुए थे. 1,218 की मौत हो गई थी.
15 लाख लोगों की टीबी से मृत्यु हर साल हो जाती है.
3,000 छोटे-छोटे कण निकलते हैं एक बार के छींकने से. छींक के छोटे कण 6-7 फीट दूरी तक जाकर गिरते हैं व सामने वाले में बीमारी फैलते हैं.
यह करें
नाक-मुंह ढकने से न केवल संक्रमित आदमी से दूसरे में संक्रमण नहीं फैलता, बल्कि स्वस्थ्य आदमी बीमार नहीं होते हैं. वैसे तो स्वस्थ व्यक्तिको अच्छे वातावरण में मास्क लगने की आवश्यकता नहीं होती है. लेकिन जहां आवश्यकता इसका उपयोग करें. मास्क नहीं है तो कपड़े या रुमाल से ही नाक-मुंह को ढक लें. बचाव होगा.
सोशल डिस्टेंसिंग
कोरोना से बचाव के लिए तीसरा व सबसे बड़ा हथियार सोशल डिस्टेंसिंग है. इसमें एक से दूसरे आदमी के बीच में 6-7 फीट की दूरी होनी चाहिए. इसमें फिजिकल जुड़ाव नहीं होना चाहिए. न ही उसके कपड़े, बिस्तर या फिर बर्तन आपस में साझा नहीं करना चाहिए. नियमित सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जाए तो स्किन की अधिकांश बीमारियों से बचाव होगा. स्केबिज, चिकनपॉक्स व मीजल्स के साथ आंखों की बीमारियां कंजंक्टिवाइटिस, केराटाइटिस आदि से भी बचाव होगा.
छूने से फैलता है एक्जिमा
14 करोड़ से अधिक लोग हर साल चिकन पॉक्स की चपेट में आते हैं. कुछ को हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ता है.
2019 में मीजल्सके पांच लाख से अधिक केस रिपोर्ट किए गए थे.
10 करोड़ से अधिक लोगों को हर साल एक्जिमा की समस्या होती है. यह बेकार हाइजीन से होने वाली बीमारी है.
2-3 प्रतिशत कुल आबादी में हर साल कंजेक्टिवाइटिस की समस्या होती है.
दूरी रखें
सोशल डिस्टेंसिंग में एक दूसरे से दूरी बनाकर रहें. बाहर जाना पड़े तो भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में जाने से बचें. किसी का प्रयोग किया कपड़ा, रुमाल बर्तन, बिस्तर का उपयोग में न लें. यदि घर में हैं तो ïघर हवादार व खुला होना चाहिए ताकि किसी प्रकार का संक्रमण दूसरे में न फैले.